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29 मार्च 2011

कासे कहूं ......... और ......... क्या लिखूं

काफी दिनों से सोच रहा हूँ, कुछ मैं भी लिखूं . कई अज़ीज़ हैं जो लिखने के लिए प्रोत्साहन कर रहे हैं......मैं भी कुछ लिख सकता हूँ ऐसा कभी सोचा न था..........हाँ, पढने की ललक बीमारी की हद तक है.  हम इस जगत से 'ताऊ' नाम के एक मस्त कलंदर के ब्लॉग से जुरे............उनकी हरियाणवी फ्लेवर से बनी कई कहानियों को 'इब खूंटे पे पढयो' से होते हुए जब 'ताऊ के शोले' से गुजर रिया था, तो हमें ब्लॉग-वुड के ठाकुर 'फुरसतिया' एवं गब्बर 'एलियन' के ठीये मिले...........पहली नज़र में ही हम  'फुरसतियाजी' के मुरीद हो गए..........उनको पढ़ते रहे......गुनते रहे.............फिर एक बार उन्होने काफी दिनों तक कुछ लिखा नहीं, तो हमने उनके साईट से उनका 
दूरभाष नंबर लेकर फोन कर तगादा कर दिया..............उन्नोहने हमारी लाज रखते हुए एक पोस्ट में हमारी 
चर्चा भी की..............ओ था उनका पहला प्रोत्साहन. मैंने कई बार सोचा की कुछ लिखा जाये..............लेकिन 
पढने के ऊपर लिखने की धौंस कभी चली नहीं और हम लगातार पढ़ते गए.....पढ़ते गए. गरज ये की मर्ज़ बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दावा की. शुक्र है के लिखने की बीमारी पढने की तरह नहीं लगी...........काफी नुकसान हो चुका होता. अगर १५ साल पहले छूटी बीमारी फिर से नहीं ग्रसता तो क्या ये ४ पंक्ति भी लिख पता. नहीं ना.

हमारे पसंदीदा लेखक इस प्रकार से हैं........................

ज्ञानजी/अनूपजी/दिनेशजी/समीरजी/अरविन्दजी/गुरुवर अमर/गिरजेशजी/शिवजी/रविजी द्वय(प्रभात/रतलामी)/अजितजी/अनुराग आर्य/कुश/अनुराग शर्मा/ राहुलजी/प्रमोदजी/ताऊ/सतीश पंचम/सतीश सक्सेना/अजय झा/खुसदीपजी/प्रवीण पाण्डेय/गौतम राजरिशी/सिदार्थ शंकरजी/सुरेश चिपलूनकर/निशांत/हिमांशु  /श्रीश/अपूर्व/नीरज बसियल/मो-सम हमनाम/लपूझन्ना/अनामदास/सुज्ञजी /दीपजी/प्रतुल-गुरूजी/सलिलजी/मोहल्ला/कस्बा/कबाडखाना और ना जाने कितने और अनेको-नेक ..........................

मात्री सक्ति याने के (लछमिनिया पार्टी से) .........

घाघुतीजी/बंदना अवस्थीजी/रंजनाजी/अनुराधा मुक्तिजी/अदाजी/रचना जी/अन्शुमालाजी/हरकीरत हीरजी/दिव्याजी..............और कई एक हैं...................

इस से इतर जो भी पढ़ते हैं ओ हिंदिब्लोग्जगत से.

अब गूगल बाबा जी के कृपा से जिस नाचीज़ को इतने ढेर सारे.........अलग अलग विषयों पर लिखने वाले मिले हों .............. नामुराद को खुद्दै कुछ लिखने की क्या परी है..............यूँ भी यहाँ लिखने वाले की क्या कमी है ....
पढने वालों की कमी है ...............सो हम खालिस पाठक बनकर इस ब्लॉगजगत को बैलेंस करने का काम कर रहे हैं ...................

"चुटकियाँ लेते हुए एहसास पर........
 पिन चुभाई जा रही विस्वास पर.....
 इस नए युगबोध की ये बानगी ......
 अर्घ्य उनका चढ़ गया संत्रास पर....." (शायर का नाम पता नहीं)

"अश्क आखों से गिरा ....
 गालों पे लुढका .. ...
 और टूट गया .......

 काश के पलकों ...
 पे ठहरता ..........
 तो नगीना होता..."(शायर का नाम पता नहीं)

ये जो दो ऊपर शेर-ओ-शायरी लिखे हैं ये हमारे मन के उद्गार हैं जिसे मैं 'कासेकहूँ' के लिए ही रख छोरे थे........
और हमारे देश-समाज के जो हालत आज की तारीख में है उसके लिए भी एक इरशाद कर ही दूं..................

"बावफा के इश्क में शैदा मुझे क्यूँ कर दिया...........
 इस नामर्द मुल्क में पैदा मुझे क्यूँ कर दिया......"(शायर का नाम पता नहीं)

फिलवक्त इत्ता ही काफी है, अगर पास कर गए तो फिर और कुछ कोशिश करेंगे....................आमीन........




60 टिप्‍पणियां:

  1. .

    सञ्जय जी,
    आपकी अभिव्यक्ति दिल से छूती हुई मस्तिष्क में बैठे अहंकार को शर्मिन्दा कर देती है.
    आज यदि कोई स्वयं को शुद्ध पाठक मानकर लेखन से परहेज किये है -- तो ऐसे विरले ही हैं.
    आपका लेखन अभी सकुचा बेशक रहा है लेकिन आपके मन की बातें भी तो आपकी अभिव्यक्ति ही है ना. जब तक आप अपने हृदय के भाव दूर बैठे लोगों से 'संवाद' के जरिये प्रकट नहीं करेंगे तब तक हमें कैसे पता चलेगा कि
    'सञ्जय' न केवल आँख वाले अंधों के लिये धृत-राष्ट्रीय commentator मात्र हैं अपितु एक सुलझे हुए विचारक भी हैं.

    .

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  2. इस्टाईल बढियां है -रोमन की टिप्पणियाँ केवल आपकी ही पढ़ते हैं बिना झेलाई !

    जवाब देंहटाएं
  3. संजय जी आप की (दिव्या+ दृष्टी)( से सम्पूर्ण महाभारत देखने व पढने का इंतजार रहेगा..उसकी एक झलक तो देख ही चूका हूँ एक ब्लॉग पर ..
    लिखत रहा हमनी के सब जनि साथे बनी जा तुहरे..

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  4. @guruji....aisi koi bat nahi.....padhne me dikkat nahi hai ......... likhne me hai.....so kami chupane ke liye jhoote tark de kiye......

    pranam.

    @bhaijee ..... istyle ka kya ...... aap padhlete hain......balak itne bhar khus ho leta hai......

    pranam

    @ashutoshji.....anuj, pichle post par bhi ek baapji door-drishti ki dohri baat kar gaye...hum nazar andaz kar gaye........lekin, apki baton ko
    hamne picha kiya to bhadas blog tak pahuncha....
    bandhu.....blogjagat me sanjay ki ginti hum nahi
    kar pa rahe.....nihayat hi comman naam hai......

    jis drishti ki baat ap kar rahe.....wakai unke gyan se hum apni drishti spast karne me safal hue hain.........

    sadar.

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  5. काफी दिन बाद लिखने आये हो संजय ! आपका स्वागत है... :-)
    अनूप शुक्ल बेहतरीन ब्लोगर लेखक और विद्वान् हैं इसमें क्या संदेह ! बेवाक और हिंदी के लिए समर्पित इस योद्धा के लेखन के साथ मुस्कान हमेशा जुडी रहती है ! ...हाँ इनका कम लिखना कई बार खलता है !
    हास्य व्यंग्य क्षेत्र में अनूप शुक्ल और ताऊ बेजोड़ हैं !
    आशा है नियमित रहोगे !

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  6. जय हो! लिखने के इतने दिन बाद पोस्ट देखने का सुयोग मिला मुझे। बहुत अच्छा लगा।

    आपकी सहज अभिव्यक्ति बेहतरीन है। फ़ुल नम्बर से पास हो गये। अब नियमित लेखन किया जाये। :)

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  7. पास? पास विद डिस्टिंक्शन।
    जानते हो तुम्हारी टिप्पणियों का लगभग हर ब्लॉगर को इंतज़ार रहता है। मुझे भी पढ़ने में ही आनंद आता था\है और इस मायानगरी से हमारा शुरुआती परिचय भी ’ताऊ’ के ब्लॉग से हुआ था। लेकिन तुम्हें रैगुलर लिखना भी चाहिये। बानगी हम सब देख हे रहे हैं और फ़िर जब हम जैसे यहाँ साल सवा साल काट गये तो तुम तो यारा हमसे कई दर्जा ऊपर हो। इतनी विनम्रता हममें होती तो ’फ़ट्टे चक देने थे अब तक’:))
    शुभकामनायें बंधु।

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  8. आपकी सहज अभिव्यक्ति बेहतरीन है।
    नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  9. .

    संजय जी ,

    आप कहते हैं की आप लिखते कम और पढ़ते ज्यादा हैं। लेकिन आज तो हम आपके पाठक बनकर आये हैं । इतना ही कहूँगी , नियम अच्छे तो होते हैं , लेकिन बहुत ज्यादा नियमों से बंधना भी जरूरी नहीं है। पढ़ते हैं अच्छी बात है , लेकिन लिखते भी चलिए साथ साथ ।

    हम जितना ज्यादा पढ़ते हैं , उतना ही ज्यादा आत्मिक विकास करते हैं अपना। लेकिन जब हम कुछ लिखते हैं तो कुछ योगदान करते हैं समाज को , जिनसे हमने ग्रहण किया है। दृश्य , श्रव्य और अनुभूत ...कुछ भी लिखिए लेकिन लिखिए जरूर।

    .

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  10. @satish bhaijee....aplogon ke pyar evam protshan se.....umeed hai 'haath khulega'.......

    pranam.

    @anup bhaijee.....hum apke jhanse me nahi aayenge....balak se tagada milta rahega...barobar...idhar main likhne me uljhoon
    aur aap.......asha hi jiwan hai ka jhansa dekar
    hamre apeksha ko nazarandaz kar saken...(p.s)

    @aap sum mo.ji.........'distinction'....soch lijiye........balak 'sclorship' maang bhithega...

    pranam.

    @patali-the-village.....sukriya evam subhkamnayen..........apko bhi....aate rahiyega..

    sadar.

    @zealji......rules banaye hi jate hain torne ke liye......aur phir aap jaise majboot haath saath
    mila ho to hum........grammer ka rule koun dekhta hai.....hum exception se kam chalayenge..

    pranam.

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  11. दिल की बातें बढ़िया लिखा है, ........ रोज लिख दिया करो भाई...

    आशु से सहमत ..
    @लिखत रहा हमनी के सब जनि साथे बनी जा तुहरे..

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  12. @ balak 'sclorship' maang bhithega...

    हम फ़क्कड़ों के पास क्या है जिसे मांग बैठोगे? हम तक तो जो आयेगा, कुछ लेकर आयेगा और जायेगा तो कुछ देकर जायेगा:)

    लिखो। (ओर्डर ही समझ लो यार)

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  13. संजय जी,

    शानदार स्वकथ्य लिखा है बंधु!!, वैसे तो पाठक के रूप में भी आपका लेखन प्रभावशाली था,अतः इस में दो राय नहीं आप अच्छा लिखते है। टंकण त्रृटियां तो धीरे धीरे दूर हो ही जायेगी।

    बडी प्रसन्न्ता हुई आप हमें पढना पसंद करते है। आभार

    इस पोस्ट की जानकारी बडी देर से हुई।

    शुभकामनाएँ!!

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  14. सुभानाल्लाह ....
    शायर का नाम आपको पता हो या न पता हो .....
    हमें तो पता हो गया ....
    सभी दिग्गजों के नाम लिख दिए ....
    जिस संगति में रह रहे हैं असर तो होना ही था ...
    गुरु जी की बात भी दिल को छू गई ....

    आपकी अभिव्यक्ति दिल से छूती हुई मस्तिष्क में बैठे अहंकार को शर्मिन्दा कर देती है. ..

    सच्ची .....

    अब से नियमित हो जायें .....

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  15. प्रिय बंधुवर संजय झा जी
    नमस्कार !
    ये लो , हम भी आ गए …
    अच्छी लगी आपकी पोस्ट !
    प्यारा है आपका बात कहने का अंदाज़ !

    आएंगे फिर कभी घूमते-घामते … … … !

    * श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  16. अपनी पसंद-लिस्ट में शामिल करने के लिये शुक्रिया है भाई.

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  17. देखा मेरा कमाल? पहले तो टिप्पणी पोस्ट ही नहीं हो रही थी, और जब हुई, तो मेरी पांचों कोशिशों के साथ :) मजबूरन बाकी को delete करना पड़ा:(

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  18. आप तो पासम पास हैं संजय जी
    यूँ ही लिखते रहेंगें तो आप खासमखास हैं संजयजी
    आप जब भी बुलायेंगें हम भी आपके पास होंगें संजयजी
    मेरे ब्लॉग पर दर्शन दें,अब यह अरदास है संजय जी
    राम-जन्म पर आपको बुलावा है.

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  19. @bawaji......apko achha laga....apne kaha....aur ye bat hame bhi achha laga....roj nahi to kabhi-kabhi kuch bhi likh diya karenge....

    pranam.

    @jakirji.....hum bhi khub maje liye hain apke post ka.....age bhi lete rahiyega...

    salam.

    @namrashi bhaijee....len-den to chalta rahega...bakiya order poora karne ki koshish sighra karte hain...

    pranam.

    @sugyaji......monitar bhai....bandhu ko pratshan dene ka sukriya....koshish hai.....aplogon ke piche chal sakoon.....

    pranam.

    जवाब देंहटाएं
  20. @heerji.....sharminda na karen di....aap jaison...
    ki lekhni....likhne ko lalak paida karti hai...

    pranam.

    @rajendra bhaijee.....hum apke pyare hue...hame isa baat par pyar aayaa....ate rahiyega kabhi-
    kabhi.........

    pranam.

    @bandana di.....matlab saaf hai...ye blog-balak ap se khafa tha....na na karke 7 kantap le liya
    ........age se dhyan rakha jai....

    pranam.

    @r.k chachaji.....balak ko khuch jyada man de rahe hain....shradhye hain aap....apko

    hardik pranam karte hain.

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  21. संजय जी ,
    बढ़िया लिखा है
    आप कहते हैं की आप लिखते कम और पढ़ते ज्यादा हैं

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  22. बहुत अच्छा लिखा है आप तो इतना अच्छा लिखते है...और जब पढ़ने वाला लिखता है तो बात ही कुछ और होती है...
    इसी को आदत बना लीजिए....फिर आप नहीं कह सकेंगे कि लिखते कम हैं...

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  23. आज आपने पढने वालों में मुझे भी शामिल कर लिया।
    आप बहुत अच्छा लिखते हैं, लिखने की निरन्तरता बनाइए।

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  24. प्रिय संजय
    आपने मुझे चाचा बनाया ,भतीजे यह मुझे स्वीकार है
    मेरे ब्लॉग पर आप आये ,आपका यह मुझ पर प्यार है
    आप एक बार फिर से आयें,रामजन्म-आध्यात्मिक चिंतन-२
    पर आपका इंतजार है.
    आईयेगा जरूर,भूलिएगा नहीं.

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  25. धन्यवाद और शुभकामनायें!

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  26. फिर गायब हो गए संजय ?
    अरे कोई है यहाँ ....

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  27. आखिर मिल ही गया वो बन्दा,

    जो है बहुत ही चंगा ||


    अपनी मुझे सुनाई

    जब मेरी बारी आई

    लम्बी दौड़ लगाईं

    तब भी सुनी न भाई --

    दस्सो की करां ??


    इन्तजार है आपका ||

    आइये

    जरा घूम जाइए ||

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  28. चलिए एक सहायता कीजिये ||
    प्रस्तुत कविता की व्याख्या ही कर दीजिये ||

    रक्त-कोष की पहरेदारी
    चालबाज, ठग, धूर्तराज सब, पकडे बैठे डाली - डाली |
    आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली |

    दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, सब गायों पर छान्द लगाया |
    मगरमच्छ ने अपनी हद में, मत्स्य-केंद्र मंजूर कराया ||

    महाघुटाले - बाजों ने ली, जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
    जल्लादों ने झपटी झट से, मठ-महन्त की कुल मुख्तारी||

    तिलचट्टों ने तेल कुओं पर, अपनी कुत्सित नजर गढ़ाई |
    तो रक्त-कोष की पहरेदारी, नर-पिशाच के जिम्मे आई ||

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  29. रविकर जी,
    आपके सामयिक आशु-कवित्व ने मन गदगद कर दिया.
    बेहतरीन कविताई से आपने मेरे हृदय में मज़बूत घर बना लिया है.
    ये कविताई विलक्षण है. नमन आपकी प्रतिभा को.

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  30. प्रतुल वशिष्ठ जी सादर नमन ||
    नया हूँ ||
    स्नेह चाहिए ||

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  31. @ इसके बाद लिखने की फुरसत मिलती भी है या नहीं ||

    सच में कई दिन क्या महीने हो गए |
    अरे भाई जरा घूम ही लो मन बहल जायेगा --
    आपका आप जाने
    हमारा मन ||

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  32. ई गलत बात है झा जी! ई ब्लॉग के बारे में तो हमको पता भी नहीं था.. आपका मोबाइल भी स्विच ऑफ है आजकल.. कमेन्ट मत करने आइये.. मगर हाल चाल बताते रहा कीजिये!!

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  33. लगा कि आप हमी से कह रहे हैं, और जो लिखा है उसका अंदाज भी रोचक है, शुभकामनाएं.

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  34. भतीजे कुछ तो है आपके लेखन में, जरा समय निकाल कर नियमित रहो, लंबी रेस के घोडे हो, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  35. संजय भाई, ब्लाग पर लगी तस्वीर बहुत सुन्दर लगी और कुछ पंक्तियाँ भी।

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  36. का भैया बस इसी पोस्ट के सहारे पूरी जिंदगानी काट के रख देगें क्या ?

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  37. बहुत सुन्दर पोस्ट , पहली बार आना हुआ ... बहुत अच्छा लगा ..

    आभार
    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  38. खोल से बाहर आइये महराज....नईकी पोस्ट कब लिखियेगा :)

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  39. पहली बार इस ब्लॉग पर आया और कोई नई पोस्ट भी नहीं ! आइये कि कुछ नया हो जाए.....

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  40. प्रयास अच्छा है।
    लेखनी को यूँ ही चलने दीजिये।

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  41. भाई संजय झा जी डॉ० अरविन्द मिश्र जी के ब्लॉग पर आपका कमेंट्स अपने बारे में पढ़ा और आपकी तलाश करते हुए यहाँ आ गया |आपकी लेखनी बिलकुल लोकभाषा का टच लिए मज़ेदार है बधाई |

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  42. आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
    .धन्यवाद .

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  43. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  44. आप को भी परिवार समेत दीवाली की शुभकामनायें।

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  45. भाई जी बहुत दिनों से आपकी कोई पोस्ट नहीं आई है।
    अब कुछ तो लिख ही डालिए।
    एक विषय तो मैं ही सुझा रहा हुं।
    हम जब चंडीगढ़ में थे तो सुखना में छठ मनाते थे। पिछले महीने गया था तो सुना कि एक तालाब बनवा दिया गया है, छठ व्रतियों के लिए।
    इसी पर कुछ लिखिए, कि अब कैसा है वहां पर छठ का नज़ारा।

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  46. बढ़िया लिखते हैं जी आप। जिनको आप पढ़ते हैं उनको पढ़ कर कोई बिना लिखे रह ही नहीं सकता। लगता है इधर नहीं पढ़ रहे हैं मन से। आपकी अगली पोस्ट की आशा में हम आपके प्रशंसक बन रहे हैं..नहीं आई तो अपने निर्णय पर मुझे अफसोस होगा।

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  47. बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  48. बहुत सारे नाम ले डाले आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  49. ***********************************************
    धन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
    गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
    ***********************************************
    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
    ***********************************************
    अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
    ***********************************************

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  50. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    बंधुवर सञ्जय झा जी
    नमस्कार !

    आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
    नई पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया है …
    आपकी प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
    :)

    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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सभ्य भाषा में आपकी कोई भी प्रितिक्रिया हमें अच्छी लगेगी.....